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नारी शक्ति वंदना अधिनियम संशोधन अधिनियम 2023 एक जुमला मात्र

हरवीर सिंह 9718976101

नारी शक्ति वंदना अधिनियम 2023 जो हाल ही में संसद के द्वारा पारित किया गया है उसपर प्रोफेसर बी, एस  रावत अधिवक्ता के साथ खास बातचीत प्रोफेसर बीएस रावत अधिवक्ता ने समस्त सांसदों का आभार व्यक्त किया है कि उन्हें महिलाओं के लिए जो सशक्त कानून बनाने की पहल की है उसका जितना आदर किया जाए और सम्मान किया जाए वह काम है महिलाएं देश की आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करती हैं लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण आज तक लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं के लिए सुनिश्चित प्रतिनिधित्व का कोई कानून नहीं था सर्वप्रथम महिलाओं को लोकसभा और विधानसभा में एक तिहाई मेजोरिटी की बात 1996 में मान्य देव घोड़ा जी की सरकार में लाई गई लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण यह है बिल संसद में पास नहीं हो पाया उसके बाद 2010 में डॉक्टर मनमोहन जी की सरकार ने भारत के उच्च सदन राज्यसभा में महिलाओं के लिए वन थर्ड मेजोरिटी बिल  लोक सभा और विधानसभाओं के लिए पारित कराया

https://youtu.be/iNjlpR08KAA?si=smxi1uGCSyOLjgVI बीएस रावत का सीधा प्रसारण स्पीड इंडिया न्यूज़ के साथ जन जन तक

लेकिन कुछ दलों की उपेक्षा के कारण यह भी लोकसभा में पारित नहीं हो पाया एवं सरकार ने पेश नहीं किया हाल ही में मोदी सरकार ने विशेष सत्र आयोजित कर कर इस ऐतिहासिक कार्य को मूर्त रूप प्रदान किया और लोकसभा और राज्यसभा में यह बिल पारित किया गया इस बिल को कानून बनने के लिए अभी राज्यों कीआधी विधानसभा में और राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद पास होने के बाद यह कानून बनेगा महिलाओं के लिए जो आरक्षण की बात की गई है लोकसभा और विधानसभा में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 330 क अंकित किया जाएगा जिसमें लोकसभा में महिलाओं के लिए वन थर्ड मेजॉरिटी सुनिश्चित की जाएगी इसी प्रकार अनुच्छेद 332 क विधानसभाओं में विधानसभाओं में महिलाओं के लिए वन थर्ड मेजोरिटी सुनिश्चित की जाएगी इस बिल में जो 128 में संवैधानिक संशोधन द्वारा पारित किया गया है इसमें स्पष्ट रूप से अनुच्छेद 334 क स्पष्ट रूप से अंकित किया गया है  कि यह 128 वां संशोधन अधिनियम 2023 तभी प्रभावी होगा जब 2023 के बाद पहली जनगणना के आकड़े स्पष्ट हो जाएंगे एवं परिसीमन के द्वारा लोकसभा की सीट सुनिश्चित कर दी जाएगी  इसे स्पष्ट होता है यह बिल एक स शर्त बिल है की पहले आप 2024 में सरकार को वोट दें उसके बाद सरकार इस बिल को अग्रिम कार्रवाई के लिए पटल पर रखेगी दूसरा अन्य पिछड़ा वर्ग जो समस्त भारत में आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करता है इस सरकार से उसको विशेष अपेक्षाएं थीं कि उनके लिए भी लोकसभा एवं विधानसभा में आरक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी उसी के अंतर्गत ओबीसी की महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था होगी लेकिन वर्तमान सरकार ने ओबीसी कम्युनिटी  के लोगों के लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की है राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की रिपोर्ट के अनुसार जो 2021 में प्रकाशित हुई है भारत में कुल आबादी का लगभग 45% अन्य पिछड़ा वर्ग के लोग रहते हैं एवं 2650 कुल जातियां हैं जो अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंध रखती हैं उनके लिए सरकार ने कोई व्यवस्था नहीं की है इससे ओबीसी जाति और ओबीसी जाति की महिलाएं अपने आप को ठगा सा महसूस कर रही हैं दूसरा अल्पसंख्यक महिलाओं के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं की गई है और ऐसा प्रतीत होता है की सरकार इस बिल को केवल एक 2024 का चुनावी जुमला तो नहीं लाई है यदि सरकार की मंशा महिलाओं को वन थर्ड मेजोरिटी देने की होती लोकसभा और विधानसभा में जब 2014 के चुनाव में एनडीए के घोषणा पत्र में महिला आरक्षण लोकसभा और विधानसभा में रखने की पहली प्राथमिकता थी लेकिन अब 9 साल से अधिक का समय बीत जाने के बाद इसकी याद क्यों आई अब से पहले भी सरकार ने 18 सत्र आयोजित किए हैं किसी भी सत्र में महिला बिल पेश नहीं किया गया यदि महिलाओं के लोकसभा और विधानसभा में सच्ची भागीदारी सुनिश्चित करनी है तो 2011 की जनगणना को आधार मानकर लोकसभा और राज्यसभा में बिल पास हो चुका है आधे राज्यों को भी भी विशेष सत्र आयोजित कर कर महिला वंदना शक्ति अधिनियम पारित किया जाना चाहिए जिससे कि महिलाओ  की 2024 के चुनाव में एक तिहाई मेजोरिटी से चुनाव में भागीदारी सुनिश्चित हो सके महिला जाती का भारत की स्वतंत्रता में अहम योगदान रहा है इस मातृशक्ति को मैं वंदन करता हूं कि जब भी इस देश की एकता और अखंडता को किसी ने चेष्टा पहुंचने की नापाक हरकत की है तो महिलाओं ने अदम्य सास और वीरता का परिचय देते हुए भारत के गौरव को बढ़ाया है  वह स्वतंत्रता संग्राम की बात हो या भारत-पाक युद्ध की बात हो भारत चीन युद्ध की बात हो कारगिल युद्ध की बात हो महिलाओं ने भारत के गौरव के लिए अपने प्राण न्योछावर करने के लिए तत्पर रही है यह परिवार के विकास एवं राष्ट्र की समृद्धि में इनका अहम योगदान है यह बिल एक स शर्त बिल है इसकी मंशा है के पहले 2024 के चुनाव में भाजपा को वोट दें फिर जनगणना और परिसीमन के बाद बल पर अग्रिम कार्रवाई की जाएगी यह सुनिश्चित नहीं है की 2029 के चुनाव में क्या महिलाओं को वन थर्ड मेजॉरिटीआरक्षण प्राप्त होगा या नहीं होगी लोकसभा और विधानसभा में इस मातृशक्ति में विश्वास कायम करने के लिए मान्य वर्तमान सरकार से में अनुरोध करता हूं की सबसे सच्ची श्रद्धा इस मातृशक्ति के लिए तभी होगी तब 2024 में वन थर्ड मेजोरिटी लोकसभा और विधानसभा में सुनिश्चित कर दी जाए और नारी शक्ति वंदना अधिनियम जो संवैधानिक संशोधन 128 द्वारा पारित किया गया है उसमें से अनुच्छेद 334 क को हटाया जाना चाहिए जो यह बात स्पष्ट करता है कि 2024 के बाद जो प्रथम जनगणना होगी उसके आंकड़े प्रकाशित होने एवं परिसीमन होने के बाद ही यह संवैधानिक संशोधन लागू होगा इसके साथ अल्पसंख्यक महिलाओं के लिए भी आरक्षण की व्यवस्था की जानी चाहिए यही महिला जाति के लिए सच्ची श्रद्धा होगी अन्यथा यही समझ जाएगा कि जैसे 1996 से होता रहा है वही प्रक्रिया आगे भी होती रहेगी और यह सुनिश्चित नहीं होगा इस मातृशक्ति को जो देश की आन और बान है उसे लोकसभा और विधानसभाओं में कब वन थर्ड मेजोरिटी प्राप्त होगी मैं चंद लाइनों के माध्यम से बताना चाहता हूं ” लहरों को साहिल की दरकार नहीं होती हौसले बुलंद हो तो कोई दीवार नहीं होती जलता हुआ यह चिराग कहता है आज इस मातृशक्ति से जो इस मातृशक्ति की तरह उजाला देते है दूसरों को उनके जीवन में कभी हार नहीं होती “

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